पूर्व सीएम हरीश रावत को पता है कि सत्ता में ना रहते हुए भी खबरों में कैसे रहा जाता है? यही वजह है कि चुनाव में हार के बावजूद वो मीडिया की सुर्खियों में बने रहते हैं. इसी बार भी उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए कांग्रेस में अपनी घटती साख को लेकर पोस्ट किया है. उन्होंने कहा कि हारे हुए को कौन पूछता है. कांग्रेस में भी मुझ पर रुचि घटती जा रही है.

वहीं, उन्होंने अब मिलम और मलारी टनल को लेकर सरकार का धन्यवाद किया है. उन्होंने लिखा है शाबाश, बहुत अच्छी खबर. अब मिलम और मलारी, टनल से जुड़ जाएंगे. जोहार घाटी और नीती घाटी या मलारी घाटी कुछ भी कह लीजिए. ये घाटियां, टनल से जुड़ती हैं तो यह सीमांत क्षेत्र के लिए एक बड़ा वरदान साबित होगा. 18 ऐसे टनल हैं, जिन्हें पर्वतांचल के जीवन यात्राओं को सुगम बनाने के लिए बहुत आवश्यक है. जो बिना केंद्र की मदद के संभव नहीं है.

हरीश रावत ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि पिछली बार कुछ लिखने के लिए समाचार पत्र के अपूर्व जोशी जी ने प्रेरित मुझे किया था. इस बार उनकी रूचि भी मुझ में घट गई है. हारे हुए व्यक्ति में रूचि कम होना स्वाभाविक है. वो क्यों अपनी ख्याति प्राप्त अखबार का प्लेटफार्म मुझे उपलब्ध करवाएंगे. बहरहाल मैं कुछ उस पर लिखना चाहता हूं और कांग्रेस में भी मुझ पर रुचि घटती जा रही है. पता नहीं कितने दिन कांग्रेस मुझे अपने से जोड़े रखना चाहती है.

ऐसे समय में 2000 से 2002 तक की पदयात्रा के प्रसंगों पर भी मैं कुछ लिखना चाहता हूं. हो सकता है आगे आने वाले कांग्रेसजनों को अपनी संघर्ष यात्रा में हमारी उस समय की उस यात्रा के प्रसंगों से कुछ प्रेरणा मिल सके. धीरे-धीरे मेरे बहुत सारे मित्र छट रहे हैं. अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर और चंपावत के उस क्षेत्र में आज तो लगभग सभी कोनों में सड़कें पहुंच चुकी हैं. जब बहुत लंबे-लंबे बड़े कठिन इलाकों में सड़कें नहीं पहुंची थी, तो उस समय भी मैंने पैदल उन क्षेत्रों का भ्रमण किया था. उस भ्रमण के मेरे साथी भी समय के साथ धीरे-धीरे दूर होते जा रहे हैं.

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