उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कपकोट बागेश्वर लोक निर्माण विभाग द्वारा ग्रामीणों की जमीन का मुआवजा ना देने पर लोक निर्माण विभाग कपकोट के खाते सीज करने एवं क्षेत्र के अधीक्षण अभियंता व अधिशासी अभियंता के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश लोक निर्माण विभाग के सचिव को दिए हैं. साथ ही रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है. इसके अलावा याचिकाकर्ताओं को दो महीने के भीतर भुगतान करने को भी कहा है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में हुई.

मामले के मुताबिक, बागेश्वर के ग्रामीण हरीश पांडे एवं अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि 2007 में पीडब्ल्यूडी ने उनकी भूमि रोड बनाने के लिए अधिकृत की. लेकिन जब विभाग से भूमि के एवज में मुआवजा मांगने गए तो विभाग ने भूमि अधिकृत करने की बात से साफ इनकार कर दिया. इस मामले को लेकर जब वे हाईकोर्ट आए तो विभाग ने स्वीकार किया कि उनकी जमीन अधिग्रहित की गई थी. अब उनको विभाग नए एक्ट के मुताबिक मुआवजा देने जा रहा है.

लेकिन कोर्ट में बयान देने के बाद विभाग एक बार फिर अपने बयानों से मुकर गया. याचिकाकर्ता के भूमि अधिग्रहित के सारे दावे खारिज कर दिए. इसके बाद याचिकाकर्ता फिर से हाईकोर्ट पहुंचे. जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने लोक निर्माण विभाग कपकोट बागेश्वर के खाते सीज करने, अधीक्षण अभियंता एवं अधिशासी अभियंता के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश सचिव लोक निर्माण विभाग को दिए हैं. साथ ही दो महीने के भीतर ग्रामीणों को तब से अब तक का मुआवजा ब्याज सहित देने को कहा है.

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