आय से अधिक संपत्ति मामले में भारतीय वन सेवा के चर्चित अधिकारी किशन चंद पर शिकंजा कसता जा रहा है. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने IFS किशन चंद के खिलाफ अभियोग (Prosecution against IFS Kishan Chand) चलाने की अनुमति दे दी है. जिसके साथ ही किशन चंद की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. क्योंकि इसके साथ ही सरकार ने अब उनकी उस अर्जी को नामंजूर (VRS application of IFS Kishan Chand rejected) कर दिया है, जिसके जरिए वो अपने सेवाकाल को सम्मान के साथ समाप्त करना चाहते थे.

जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली धामी सरकार ने आईएफएस किशनचंद के खिलाफ अभियोग (Prosecution against IFS Kishan Chand) चलाने की अनुमति देकर कुछ बड़ा संदेश प्रदेश की जनता और ब्यूरोक्रेसी को देने जा रही है. ईटीवी भारत से बात करते हुए वन मंत्री सुबोध उनियाल ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि आईएफएस अधिकारी किशन चंद की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (Voluntary Retirement) के आवेदन को रिजेक्ट कर दिया गया है. ऐसा इसीलिए क्योंकि सरकार यह चाहती है कि किशन चंद को जल्द से जल्द सिस्टम से बाहर किया जाए.

दरअसल वन मंत्री के आदेश पर ही किशन चंद को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिलाए जाने की फाइल मुख्यमंत्री दरबार भेजी गई थी. हालांकि इस फाइल के कई दिनों तक मुख्यमंत्री दफ्तर में साइड रखने पर भी सवाल उठ रहे हैं. किशन चंद को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति न देकर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिलाए जाने की कोशिशों से साफ है कि सरकार किशनचंद की ससम्मान घर वापसी नहीं होने देना चाहती.

किशन चंद के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले पर मुकदमा चलाने की अनुमति धामी सरकार ने विजिलेंस को दे दी है. लेकिन, अभी केंद्र से भी राज्य विजिलेंस को इसके मद्देनजर अनुमति लेनी होगी. दरअसल अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करने के लिए राज्य के साथ केंद्र की भी अनुमति आवश्यक होती है.

पहले भी हो चुकी है पूछताछ: आय से अधिक संपत्ति के मामले में विजिलेंस की घेराबंदी आईएफएस अधिकारी किशन चंद के लिए कोई नई बात नहीं. राज्य स्थापना से पहले ही उत्तर प्रदेश विजिलेंस की देहरादून शाखा की तरफ से किशन चंद के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच की गई थी. यही नहीं केंद्रीय विजिलेंस की तरफ से भी किशन चंद की संपत्ति को लेकर उनसे पूछताछ की जा चुकी है.

उधर साल 2019 में उत्तराखंड विजिलेंस की तरफ से इस पर जांच शुरू की गई, इस मामले में आईएफएस अधिकारी किशन चंद ने 2019 में ही नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गिरफ्तारी पर रोक की मांग की थी. जिसके बाद हाईकोर्ट ने अग्रिम आदेशों तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. हालांकि अब इस मामले में राज्य सरकार की तरफ से मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मिलने के बाद किशन चंद चौतरफा घिर गए हैं.

किशन चंद अब तक किन-किन आरोपों में घिरे: 2015 में जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग की तरफ से किशन चंद पर अनुशासनात्मक मामलों के अलावा कई दूसरे गंभीर विषयों पर शासन में शिकायत की गई थी. 1999 के दौरान किशनचंद पर कुंभ क्षेत्र में निर्माण कार्य में अनियमितता के आरोप लगे और उसकी जांच भी की गई इसमें मामले की गंभीरता को देखते हुए अनुशासनात्मक कार्यवाही भी की गई थी. राजाजी नेशनल पार्क में रहते हुए अवैध पेड़ कटान से लेकर निर्माण कार्यों में अनियमितता तक के भी आरोप किशनचंद पर लगते रहे.

जानिए कौन है आईएफएस अधिकारी किशन चंद: किशन चंद 1986 बैच के आईएफएस बैच के अधिकारी हैं. भारतीय वन सेवा के इस अधिकारी की चर्चाएं उत्तर प्रदेश के समय से ही रही हैं. साल 2000 में राज्य स्थापना से पहले भी किशनचंद पर कई आरोप लगते रहे हैं. किशन चंद राज्य स्थापना से पहले 1990 से ही राजाजी नेशनल पार्क में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते रहे हैं. 1993 के दौरान किशन चंद राजाजी पार्क में उप निदेशक के पद पर रहे.

इस दौरान किशनचंद हरिद्वार में डीएफओ जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं. किशन चंद राजाजी नेशनल पार्क में ही उप वन संरक्षक की जिम्मेदारी भी संभाली हैं. इसके अलावा विशेष कार्यकारी गुर्जर पुनर्वास की जिम्मेदारी भी उन्हें दी गई. 2015 में किशनचंद तब सुर्खियों में आए जब उनकी रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी राघव लंगर ने शिकायत शासन को कर दी. उस दौरान किशन चंद रुद्रप्रयाग के डीएफओ थे. 2019 के दौरान किशन चंद के पास अलकनंदा भूमि संरक्षण वन प्रभाग के डीएफओ के साथ उपनिदेशक नंदा देवी बायोस्फीयर गोपेश्वर की भी जिम्मेदारी रही.

किशन चंद की राजनीतिक पकड़: आईएएस अधिकारी किशनचंद जितने विवादों में रहे राजनीतिक पकड़ भी उनकी उतनी ही मजबूत दिखाई दी. तमाम शिकायतों के बावजूद किशन चंद विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काबिज रहे. खास तौर पर कांग्रेस सरकार के दौरान तो किशनचंद विभाग में खासी मजबूत दिखाई दिए. इसकी बड़ी वजह यह रही कि किशनचंद की पत्नी बृजरानी कांग्रेस की नेता रह चुकी हैं. किशन चंद की पत्नी 1996 में हरिद्वार की जिला पंचायत अध्यक्ष भी रही हैं. इसके अलावा 2012 में उनकी पत्नी ने रानीपुर से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा. साल 2017 में निर्दलीय रूप से भी उनकी पत्नी ने विधानसभा में ताल ठोकी, लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाई. खास बात यह है कि 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बृजरानी ने भाजपा की भी सदस्यता ले ली थी.

क्या है मामला: विजिलेंस टीम ने आईएफएस किशन चंद के खिलाफ तैयार की गई चार्जशीट में आरोप लगाया है कि किशन चंद ने अपनी आय से 375 गुना ज्यादा संपत्ति अर्जित की है. यही नहीं, विजिलेंस ने 33 करोड़ की संपत्ति का खुलासा भी किया है. इस संपत्ति में किशन चंद की सात करोड़ की संपत्ति है, जबकि ज्यादातर संपत्ति परिजनों के नाम खरीदी गई है. भोगपुर में बेटे के नाम से अभिषेक स्टोन क्रशर लगाया गया है. पिरान कलियर में पत्नी के नाम से ब्रज इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल बनाया गया है. यही नहीं, स्कूल के लिए पत्नी के नाम पर ट्रस्ट बनाया गया है. अपने नाम संपत्ति खरीदने के लिए ट्रस्ट से लिए गए ऋण को अभी तक नहीं लौटाया है.

इस ट्रस्ट में लोगों से बड़ी धनराशि जमा कराई गई है. साथ ही विजिलेंस ने चार्जशीट में जिक्र किया है कि हरिद्वार डीएफओ रहते हुए लैंसडाउन प्रभाग में लोगों को नौकरी देने की एवज में उनकी जमीनें आईएफएस किशनचंद ने अपने नाम कराई हैं. इसके साथ ही देहरादून बसंत विहार में 2.40 करोड़ का मकान भी उन्होंने ख़रीदा है. मकान के लिए 60 लाख का ऋण स्कूल के ट्रस्ट से लिया गया है. पत्नी के खाते से 1.80 करोड़ लिए गए हैं. इस पैसे को एक दिन पहले अलग-अलग लोगों से जमा करवाया गया. आईएफएस अधिकारी के खिलाफ विजिलेंस द्वारा दाखिल की जा रही चार्जशीट के सवाल पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हम भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड बनाना चाहते हैं. उस दिशा में जो जरूरी होगा वो काम सरकार करेगी.

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