उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून स्थित सहस्त्रधारा के जलमग्न क्षेत्र को बंजर भूमि दिखाकर नगर निगम द्वारा आईटी पार्क व अन्य निर्माण कार्यों को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. वहीं, इस सुनवाई के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार, डीएम देहरादून, एमडीडीए और नगर निगम से चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है.

जानकारी के मुताबिक, देहरादून निवासी अजय नारायण शर्मा ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि देहरादून सहस्त्रधारा में प्रशासन द्वारा जलमग्न भूमि को बंजर भमि में बदलकर वहां भारी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. जिससे जल स्रोतों के सूखने के साथ ही पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है.

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि जलमग्न भूमि को बंजर भूमि में परिवर्तित करने के लिए भारत सरकार की अनुमति नहीं ली गई है जबकि भारत सरकार के 1989 के नोटिफिकेशन में साफ तौर पर कहा गया है कि भूमि परिवर्तन के लिए भारत सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य है. वहीं, वर्तमान समय मे भूमि का स्वरूप बदलकर यहां आईटी पार्क भी बनाया जा रहा है.

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