आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का एजुकेशन सिस्टम हवा में झूल रहा है. यूपी बोर्ड से लेकर शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) और दूसरी प्रतियोगी परीक्षाएं कराने की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग की है. लेकिन इस विभाग के पास काम कराने के लिए जिम्मेदार अधिकारी ही नहीं है. विभागीय आंकड़े यह स्थितियां बयां कर रहे हैं. निदेशालय से लेकर जिला स्तर तक अधिकारियों की बड़ी संख्या में पद खाली पड़े हैं.

दरअसल, शिक्षा विभाग में कई वर्षों से पदोन्नति तक नहीं हुई है. हालत तो यह है कि विभाग के निदेशक के चार में से दो पद खाली पड़े हैं. सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर को सेवानिवृत्त होने के बाद विस्तार देकर पद पर बनाए रखा गया है. वहीं, विनय पांडेय निदेशक माध्यमिक का पद संभाल रहे हैं. इसका खुलासा खुद शिक्षा विभाग के अधिकारियों के संगठन यूपी एजुकेशनल ऑफीसर्स एसोसिएशन ने किया है. एसोसिएशन का दावा है कि विभाग स्तर पर पदोन्नति और चयन की प्रक्रिया कई वर्षों से रुकी हुई है. नतीजन जून 2022 तक 40 प्रतिशत तक अधिकारियों के पद खाली हो जाएंगे. संगठन के अध्यक्ष केके गुप्ता ने बताया कि पिछले सप्ताह दो पदोन्नति की गई हैं.

उल्लेखनयीय है कि शासन की तरफ से एक अक्बटूर 2021 को पत्र जारी कर विभागीय प्रोन्नति की कार्रवाई को 31 अक्टूबर तक पूरा करने को कहा गया है. शिक्षा विभाग में इसको लेकर लापरवाही की जा रही है. पिछले सप्ताह दो पदोन्नति की गई है. एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि अगर अब भी विभागीय स्तर पर कार्रवाई नहीं की गई तो जून 2022 तक 40 फीसद से अधिक पद खाली हो जाएंगे.

प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह का कहना है कि शिक्षा विभाग के ऊपर प्रदेश के करोड़ों बच्चों के भविष्य की जिम्मेदारी है. बावजूद, यहां पूर्णकालिक अधिकारी उपलब्ध न होना चिंता का विषय है. अभी तक तो माध्यमिक शिक्षा के निदेशक को तीन साल तक अतिरिक्त कार्यभार देकर काम चलाया गया. यह प्रशासनिक स्थिति टीईटी पेपर लीक, यूपी बोर्ड अंग्रेजी पेपर लीक जैसे मामलों के लिए दोषी हैं.

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