राजस्थान में महिला डॉक्टर की मौत पर चिकित्सकों में आक्रोश है. ऐसे में देशव्यापी हड़ताल में लखनऊ के डॉक्टर भी शामिल हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के एलान से अस्पताल, डायग्नोस्टिक सेंटर, पैथोलॉजी में ताले डाल दिए गए हैं. लिहाजा दूर-दराज के जिलों से इलाज के लिए राजधानी आए हजारों मरीजों को लौटना पड़ रहा है. उधर, सरकारी अस्पतालों में अफरा-तफरी का माहौल हैं.

लखनऊ में आईएमए से जुड़े करीब 1500 सदस्य हैं. इसमें 800 के करीब रजिस्टर्ड अस्पताल हैं. वहीं 1200 के करीब प्राइवेट पैथोलॉजी व डायग्नोस्टिक सेंटर हैं. इस दौरान निजी अस्पतालों में ओपीडी से लेकर इमरजेंसी तक बंद हैं. इसके चलते कराहते मरीजों की भी डॉक्टर कोई सुनवाई नहीं कर रहे. मरीजों के ऑपरेशन भी टाल दिए गए. लखनऊ के प्राइवेट अस्पतालों और क्लीनिक में हर रोज करीब 50 हजार मरीज आते हैं. हड़ताल के चलते उन्हें दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं सरकारी सेवा में आईएमए से जुड़े चिकित्सकों ने काला फीता बांधकर विरोध जता रहे हैं.

गर्भवती महिलाओं व बच्चों को नहीं लगे टीके- इस दौरान अस्पतालों में टीकाकरण भी बंद है. इसमें रूटीन टीकाकरण भी नहीं किया गया. खासकर गर्भवती महिलाएं व बच्चे टीकाकरण के लिए अस्पताल पहुंचे. मगर काउंटर बंद कर दिया गया. उन्हें बताया गया कि हड़ताल के चलते टीकाकरण नहीं हो रहा है. वह अगले दिन अपना टीका लगवाएं. ऐसे में धूप में आए मासूम बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

जांच के लिए भटकते रहे मरीज तीमारदार- शहर के डायग्नोस्टिक सेंटर पैथोलॉजी भी बंद हैं. इसके चलते मरीजों की जांच नहीं हो रही है. ऐसे ही रेडियोलॉजी की जांचे अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, सीटी स्कैन, एमआरआई, पेट स्कैन भी मरीजों के नहीं हो रही. प्राइवेट पैथोलॉजी डायग्नोस्टिक सेंटर बंद होने से मरीजों की जांच ठप हैं. इसमें भी हजारों मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

आईएमए लखनऊ के अध्यक्ष डॉ. मनीष टंडन ने कहा कि डॉक्टर्स के उत्पीड़न और सामाजिक हिंसा के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन में देशव्यापी हड़ताल का एलान किया है. इसके तहत लखनऊ में आईएमए से जुड़े डॉक्टर भी हड़ताल पर हैं.