अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (Aligarh Muslim University) के विद्यार्थियों ने हिजाब प्रचलन के समर्थन में शांति मार्च निकाला. इसके बाद विद्यार्थियों ने भाजपा सरकार व आरएसएस पर देश में नफरत फैलाने, मुस्लिम पहचान और धर्म को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करने की मांग को लेकर राष्ट्रपति के नाम एसीएम द्वितीय सुधीर कुमार को ज्ञापन सौंपा.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय परिसर के डक पॉइंट पर शुक्रवार दोपहर 3:00 बजे 25 से अधिक अधिक छात्र-छात्राएं एकत्रित हुए और हाथों में आरएसएस और भाजपा सरकार पर मुस्लिम समाज को निशाना बनाने वाले स्लोगन लिखे पोस्टर-बैनर हाथों में लेकर बाबे ए सैयद गेट तक शांति मार्च निकालकर प्रदर्शन किया. छात्र नेता आरिफ त्यागी ने कहा कि आज देश मुस्लिम धर्म लोगों को मॉबलीचिंग का निशाना बनाया जा रहा है. हिजाब सीए- एनआरसी, तीन तलाक व बाबरी मस्जिद जो चीजें मुस्लिम धर्म और पहचान को प्रदर्शित कर रहे हैं, उन पर आज देश में जुल्म और जाती हो रही है.
छात्र नेता आरिफ त्यागी ने कहा कि ‘आरएसएस और भाजपा देश के हिंदू और मुसलमानों के बीच नफरत पैदा करने का काम कर रही है. आज देश में मोहब्बत का पैगाम देने वाले लोग चुप क्यों बैठे हैं, वह क्यों सड़क पर नहीं उतर रहे हैं. देश में हर तरफ नफरत फैलाने वाले लोग सड़क पर नजर आ रहे हैं. कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब का मामला आज देश में हर तरफ दिख रहा है. आरएसएस और भाजपा आज देश में हिजाब के नाम पर जो प्रपंच रचना चाह रहे हैं. हम लोग उसको खत्म करना चाह रहे हैं. हम लोग आपस में भाईचारे और प्रेम से रहने का संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं. हम जानते हैं कश्मीरी पंडितों पर ज्यादती हुई है, लेकिन आज कश्मीर फाइल्स फिल्म देखने के लिए लोगों को देश के प्रधानमंत्री प्रोत्साहित कर रहे हैं, जो अपने आप में समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं.’
एएमयू रिसर्च स्कॉलर छात्रा फौजिया ने कहा कि अल्पसंख्यकों को पहली बार हिंदुस्तान में डर लग रहा है. आज सोशल मीडिया पर खुलेआम मुस्लिम लड़कियों के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम देने की सोशल मीडिया पर धमकी दी जा रही है. ऐसे अपराधियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हो रही, अगर मुस्लिम नाम सुन लिया जाता है तो उनके विरुद्ध यूएपीए में कार्रवाई होती है. जबकि किसी अन्य धर्म का कोई व्यक्ति है तो उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होती. फौजिया ने कहा कि हिजाब पहनने की मुस्लिम धर्म में अनुमति है. जब देश में हर व्यक्ति अपने धर्म का पालन करने और उसके अनुसार परिधान पहनने का अधिकार है तो मुस्लिम लड़कियां इस्लाम में हिजाब प्रथा की मान्यता होने के बाद भी हिजाब क्यों नहीं पहन सकती? हम हिजाब प्रचलन के पूर्ण समर्थन में है. एसीएम द्वितीय सुधीर कुमार ने बताया कि छात्र छात्राओं द्वारा राष्ट्रपति महोदय के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया है. जिसे उचित माध्यम से राष्ट्रपति तक पहुंचा दिया जाएगा.