वैज्ञानिकों ने आसमान में लेजर से रैपिड फायर करके आकाशीय बिजली की दिशा बदल दी. यह साइंटिफिक प्रयोग इसलिए किया गया है ताकि भविष्य में लोगों को आकाशीय बिजली से बचाया जा सके. उसे धरती पर गिरने से रोका जा सके. प्रयोग स्विट्जरलैंड के एल्प्स के पहाड़ों के ऊपर किया गया था.
पहली बार वैज्ञानिकों ने लेजर से आसमान में रैपिड फायरिंग करके आकाशीय बिजली की दिशा बदल दी. इस प्रयोग से यह बात स्थापित हो गई है कि इमारतों पर लगने वाले लाइटनिंग रॉड्स की जगह अब लेजर बीम का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. इससे आकाशीय बिजली गिरने से जानमाल का नुकसान नहीं होगा. हालांकि यह प्रयोग अभी पूरी तरह से विकसित होने में समय लगेगा.
ग्रीस स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ क्रीट के लेजर फिजिसिस्ट स्टेलियोस जोरजाकिस ने बताया कि यह एक बेहतरीन साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट था. वैज्ञानिक इस प्रयोग को सफल बनाने के लिए पिछले 20 सालों से काम कर रहे थे. स्टेलियोस इस प्रयोग का हिस्सा नहीं थे. लेकिन उन्होंने बताया कि भविष्य में यह प्रयोग बहुत काम का साबित होगा.
इस प्रोजेक्ट की लीडर और पेरिस स्थित लेबोरेटरी ऑफ एप्लाइड ऑप्टिक्स की फिजिसिस्ट ऑरेलीन होआर्ड ने बताया कि एक ताकतवर लेजर बीम आसमान में एक लंबा कंडक्टिव पाथ बनाता है. यानी एक गहरी सुरंग. इसी सुरंग के रास्ते आकाशीय बिजली सीधे आकाश में ऊपर या जमीन की तरफ वापस चली जाती है. यह वैसा ही है जैसे आप हवा में ड्रिलिंग करके एक गहरा छेद बना दें.
10 हफ्तों तक चले प्रयोग के दौरान आए तूफान के बीच लेजर बीम ने 4 बार बिजली की दिशा घुमा दी. इस नजारे की तस्वीर लेने के लिए हाई स्पीड कैमरा लगाए गए थे. आकाशीय बिजली लेजर लाइट का सहारा लेकर सीधे उसके बताए रास्ते पर चली गई. इसका मतलब ये हुआ कि भविष्य में लेजर के सहारे आकाशीय बिजली को मोड़ा जा सकता है. उसे एक सुरक्षित दिशा की ओर भेजा जा सकता है. प्रयोग के दौरान वैज्ञानिकों ने हर सेकेंड 1000 हाई एनर्जी लेजर बीम आसमान में दागी.