उत्तराखंड के जोशीमठ में प्रकृति के तांडव की शुरुआत हो चुकी है और जो उसकी तस्वीरें सामने आ रही हैं वह भयावह भी हैं और डराने वाली भी है, जोशीमठ वह पहला मठ है जिसे आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा उस दौर में स्थापित किया गया था जिस दौर में सनातन को सुरक्षा की बेहद आवश्यकता थी लेकिन आज जो तस्वीरें जोशीमठ से सामने आ रही हैं वो यह पूछने पर मजबूर करते हैं कि आखिर इन सड़कों के दरकने की वजह क्या है इन घरों की दीवारों पर दरारें क्यों आ रही हैं

जोशीमठ में मौजूद शिव मंदिर पर भी प्रकृति का कहर टूट पड़ा है शिव मंदिर में मौजूद पुरातन शिवलिंग में भी दरारें आ गई हैं सरकार अपनी तरफ से हालातों को सामान्य बनाने के दावे कर रही है वहां पर पुरातत्व विभाग द्वारा सर्वे के लिए टीम भी भेजी गई है पुरानी जो चुनौतियां प्रकृति को लेकर मिली थी उन सब का भी अध्ययन किया जा रहा है लेकिन सवाल है क्या धरती फटने जा रही है क्या यह घोर कलयुग का आगाज हो चुका है