उत्तराखंड में खनन को लेकर दायर याचिकाओं के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया है कि नदियों में उतना ही खनन किया जाय जितना नदी मॉनसून के दौरान उपखनिज लेकर आती है. साथ ही कोर्ट ने अवैध और असंतुलित खनन परव राज्य सरकार को केंद्र की माइनिंग एनफोर्समेंट एंड मॉनिटरिंग गाइडलाइन को कठोरता से लागू करने का आदेश दिया है.

बता दें कि कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश की खण्डपीठ ने राज्य में हो रहे अवैध और असंतुलित खनन को लेकर दिनेश चंदोला की याचिका पर राज्य सरकार को यह आदेश दिये हैं. साथ ही कोर्ट ने रात में अवैध खनन के सघन निरीक्षण के आदेश देते हुए नाइट विजन ड्रोन कैमरे से निगरानी करने को भी कहा है. वहीं, कोर्ट ने राज्य सरकार को जिला स्तर पर खनन रोकने के लिए टास्क फोर्स बनाने का भी आदेश दिए हैं,

अपने आदेश में कोर्ट ने कहा है कि खनन परिवहन प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों के साथ सम्मानित नागरिक को भी टास्क फोर्स में शामिल करने को कहा है. वहीं, कोर्ट ने कहा है कि साल में 4 बार सर्वे किया जाय कि कितना उपखनिज एकत्र हुआ है और उसी के अनुसार खनन की अनुमति होगी.

कोर्ट ने कहा है कि सरकार अप्रैल में नदी के लेवल तय कर मॉनसून से पहले तय करेगी कि कितना नदी में उपखनिज है. मॉनसून के बाद नदी में कितना मलबा आया और मार्च में कितना खनन हुआ इस पर भी रिपोर्ट तैयार करनी होगी. चीफ जस्टिस कोर्ट ने कहा है कि अगर इसका पालन नहीं किया जाएगा तो उस इलाके के अधिकारी अवमानना के दोषी करार होंगे. इसके साथ एक अन्य याचिका में हाई कोर्ट ने कहा है कि नदी किनारे के निजी खनन पट्टों पर 6 महीने से ज्यादा की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

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