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अब तो कोई ऐसा भी मजहब चलाया जाए
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए
कहते है मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना,लेकिन आज उसी मजहब की आड़ में इंसानियत लुप्त हो रही है। कुछ दिन पहले MNS Chief राज ठाकरे ने अजान को लेकर मुद्दा उठाया था और चेतावनी दी थी कि मस्जिद के लाउड स्पीकर बंद किया जाए वरना अजान से तेज़ अवाज में हनुमान चालीसा बजाया जाएगा। उनका ये बयां तब आया जब मुस्लिम समुदाए का पाक महीना रमजान और हिंदुओं के नवरात्रें शुरु हुए थे। ये मुद्दा महाराष्ट्र निकल कर पूरे देश भर में अजान मुद्दा बन गया। महराष्ट्र के बाद कर्नाटक के कई हिन्दू संगठनों ने मस्जिदों लाउड स्पीकर बंद करने की मांग की। कर्नाटक में धार्मिक संस्थानों में नोटिस जारी किए गए जिससे लाउड स्पीकर के शोर को तय सीमा लाया जाए। ये मुद्दा अब राजनैतिक मुद्दा बन चूका है। महाराष्ट्र में जगह जगह पर लाउड स्पीकर में हनुमान चालीसा बजाए जा रहे है। कहा जा रहा की जिस हिंदुत्व का राजनीती करके शिवसेना सत्ता पर आयी वो हिंदुत्व भूल गयी। महाराष्ट्र का असर अब बनारस र भी देखने को मिल रहा है। सुधीर कुमार ने मुहिम की शुरुआत की और अपने घर के छत पर लाउड स्पीकर लगाकर हनुमान चालीसा बजाए। सुधीर सिंह का कहना की पुराने समय में सारे मंदिरो में वैदिक पाठ होते थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि नॉइज़ पोल्लुशण नहीं होनी चाहिए इसलिए मंदिरो से लाउड स्पीकर हटा दिए गए लेकिन मस्जिदों में एक की जगह दस लाउड स्पीकर लग गए। सुबह 4:30 बजे अजान की तेज आवाज से लोगो की नीद खुल जाती है लेकिन काशी में वेद मंत्र गूंजे, ये कशी का चरित्र है। यहाँ नींद अजान से खुलना सही नहीं है। उनका कहना है की अजान लाउड स्पीकर पे होती है तह हनुमान चालीसा भी होनी चाहिए।
ये मुद्दा महाराट्र से कर्नाटक,नासिक ,अलीगढ़ ,काशी जैसी जगहों में आग की तरह फ़ैल गई जिसमे धार्मिक भावनाएं झुलस के रह गई। धर्म की ये आंधी कर्म को अपने साथ बहा ले गई। समय रहते ये विवाद थमा नहीं तो लाउड स्पीकर की जगह तलवारे चमकनी शुरू हो जाएंगी।