जनपद के यमुना किनारे स्थित मोती महल पर रेलवे ने बुलडोजर चलाकर 14 मकानों को ध्वस्त कर दिया. इस दौरान लोग रोते रहे कि मकान ना तोड़ें पर रेलवे ने अपना बुलडोजर चला दिया. क्षेत्र की रहने वाली विमलेश ने बताया कि इंदिरा गांधी ने 1978 में बाढ़ पीड़ितों को इस जगह पर बसाया था, लेकिन आज एक पल में सब कुछ उजड़ गया.

वहीं सपोर्ट इंडिया के सुरेश चंद सोनी ने कहा कि डीआरएम आगरा हमें मोहलत दे. हम यदि मालिकाना हक साबित नहीं कर पाते हैं तो रेलवे विभाग जो चाहे वो कर सकता है. मोती महल पर लगे बोर्ड पर साफ तौर पर लिखा है कि सन 1978 में इंदिरा गांधी ने बाढ़ पीड़ितों को इसी जगह पर बसाया था. हमारे पूर्वज यहां पर झोपड़ी डाल कर रह रहे थे. पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती रही तो लोगों ने मकान बनवा ली है, जहां सरकार ने पानी की सप्लाई, बिजली की सप्लाई रोड खरंजा सब बनवा दिया है.

स्थानीय निवासी कुलदीप ने बताया कि यदि हमारे मकान अवैध थे और रेलवे की जगह है तो सरकार ने हमें सारी सुख-सुविधाएं क्यों दी? इतनी सालों से रेलवे ने एक बार भी हमसे नहीं कहा कि यह जगह खाली की जाए और बिना बताए बुलडोजर चला दिया. 12 मकानों को नोटिस देने की बात कही तो 14 मकान तोड़ कर क्यों चले गए? जल्द ही मोती महल बस्ती को उजाड़ने की बात रेलवे के अधिकारियों ने कही है.

वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेश चंद सोनी ने लोगों की तरफ से मजिस्ट्रेट से मुलाकात की, जहां उन्होंने कहा कि हमें मालिकाना हक साबित करने का रेलवे 1 महीने का समय दे. इससे हम मालिकाना हक साबित कर सकें. कोर्ट में यदि हम हार जाते हैं तो रेलवे जो चाहे करें लेकिन हमें 1 महीने की मोहलत दे. उन्होंने कहा कि यदि हम अवैध भी हैं तो रेलवे की ऐसी तमाम संपत्तियां हैं जिन पर लोगों ने अपने हॉस्पिटल खड़े कर दिए, लेकिन रेलवे झांकने तक नहीं जाता, सिर्फ गरीब मजदूरों को ही दबाने कुचलने का काम किया जाता है.

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