उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रयागराज, आगरा और गाजियाबाद में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने को मंजूरी दे दी है. इस फैसले के बाद अब इन तीनों शहरों में पुलिस कमिश्नर तैनात किए जाएंगे, लेकिन हम आपको बताएंगे कि किन बातों को ध्यान में रखते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार ने इन तीन शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने को मंजूरी दी है. सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने कुल डेढ़ दर्जन प्रस्तावों पर मुहर लगाई. इनमें से ही एक प्रस्ताव कमिश्नर प्रणाली लागू करने करने का था.

आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर योगी सरकार को इन तीन जिलों में पुलिसिंग का सिस्टम क्यों बदलना पड़ा-

गृह विभाग के प्रस्ताव में कहा गया कि लखनऊ, गौतम बुद्ध नगर, कानपुर नगर और वाराणसी में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद अपराध नियंत्रण और कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है. प्रस्ताव में कहा गया की अपराधियों के काम करने का तरीका लगातार जटिल और आधुनिक होता जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्र में अगर कोई नया व्यक्ति आता है तो सब पता चल जाता है लेकिन नगरों में पहचान छुपा कर रहना आसान है.

इन वजहों से लगी कमिश्नरेट व्यवस्था पर मोहर
अपराधों की प्रकृति और अपराधियों के तौर तरीके हाईटेक होते जा रहे हैं. तेज वाहनों से लूट, वाहन चोरी, छिनैती जैसी चुनौतियां भी बढ़ी हैं. संगठित अपराध में अब ड्रग्स, मानव तस्करी के अलावा साइबर अपराध, नकली कॉल सेंटर चलाकर देश-विदेश में ठगी, लॉटरी स्कैम चलाना भी शामिल हो गए हैं. संगठित साइबर अपराध के रूप में ऑनलाइन ठगी भी हो रही है. ऐसे में इनसे निपटने के लिए पुलिस की वर्तमान तकनीक पर्याप्त नहीं है. आज इन्ही बातों को आधार मानते हुए आगरा, गाजियाबाद, प्रयागराज में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था पर मोहर लगी है. बता दें आगरा की जनसंख्या 4418797, गाजियाबाद की 46,61,452 और प्रयागराज की 59,54390 है.

पहले लखनऊ और नोएडा में लागू हुई थी कमिश्नरेट प्रणाली
गौरतलब है कि यूपी में सबसे पहले 13 जनवरी 2020 को लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुई थी. लखनऊ में सुजीत पांडे और नोएडा में आलोक सिंह को पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया था. इसके बाद 26 मार्च 2021 को कानपुर और वाराणसी में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू हुई थी.

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