जिस भरोसे के साथ आप रोज अपने बच्चों को स्कूल वैन या बस में बैठाकर स्कूल भेजते हैं, क्या वो पूरी तरह सुरक्षित हैं. इसका जवाब है, बिल्कुन नहीं. नियमों को ताख पर रखकर बच्चों को भूसे की तरह भरकर सड़क पर ये वाहन यमदूत की तरह दौड़ रहे हैं. इनसे कभी भी दुर्घटना हो सकती है. नियम विरुद्ध चल रहे स्कूली वाहनों के साथ बड़ी संख्या में निजी वाहन भी हैं. इसकी तस्दीक खुद परिवहन विभाग (आरटीओ) के आंकडे़ कर रहे हैं. अप्रैल महीने में आरटीओ ने 170 स्कूली वाहनों का चालान किया. इसके अलावा 30 वाहनों को सीज भी किया गया.

परिवहन विभाग की ये कार्रवाई ये बताने के लिए काफी है कि देहरादून शहर में किस तरह से मानकों को विपरीत स्कूल वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जो कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं. देहरादून में रोज हजारों बच्चे इन्हीं स्कूलों वाहनों की जरिए घर से स्कूल और स्कूल से घर आते-जाते हैं. अभिभावक भी स्कूल प्रबंधन और वाहन संचालकों के भरोसे अपने जिगर के टुकडे को इनके हाथों में सौंप देते हैं. लेकिन उन माता-पिता को पता नहीं कि जिन वाहनों में बैठाकर वे अपने बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं, वे वाहन सड़कों पर यमदूत की तरह दौड़ रहे हैं

बहुत की कम स्कूली वाहन सीबीएसई और परिवहन विभाग के नियमों पर खरा उतर रहे हैं. अधिकांश स्कूलों के वाहन नियमों का उल्लंघन करते हुए नजर आ रहे हैं. देहरादून शहर में पहले भी कई स्कूली वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले सामने आ चुके हैं. बावजूद इसके न तो स्कूल प्रबंधन और न ही परिवहन विभाग ही जागने के लिए तैयार होता है. हालांकि परिवहन विभाग कभी-कभी नियम विरुद्ध चलने वाले वाहनों का चालान कर कार्रवाई करने का दिखावा जरूर करता है, लेकिन कुछ समय बाद ही ये वाहन फिर से सड़कों पर नियम विरुद्ध चलते हुए दिखाई देते हैं. इस बारे में देहरादून के RTO प्रवर्तन सुनील शर्मा का कहना है कि वे स्कूल प्रबंधन से भी इस सम्बंध में वार्ता की करेंगे. आगे भी इस तरह की कार्रवाई जारी रहेगी. नियमों के विपरीत चलने वाले स्कूली वाहनों पर कड़ी कार्रवाही की जाएगी.

सीबीएसई की ओर से जारी सुरक्षा मानक: स्कूली बसों और वैन का रंग पीला होना चाहिए. स्कूली वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य है. सीसीटीवी कैमरा और जीपीएस लगाना अनिवार्य है. वाहनों की खिड़कियों पर तार की मजबूत जाली होनी चाहिए. बच्चों को बैठाकर गाड़ी के मुख्य दरवाजे में ताला लगा हो. रास्ते में चालक किसी गाड़ी को ओवरटेक नहीं करेगा.

इसके साथ ही ये नियम भी अनिवार्य हैं कि वाहन पर स्कूल का नाम और फोन नम्बर लिखा होना चाहिए. स्कूल बस के चालक और परिचालक विधिवत वर्दी में होने चाहिए.
परिवहन प्रबधंक और प्रशिक्षित महिला अटेंडेंट होनी चाहिए. निर्धारित क्षमता से अधिक बच्चे किसी वाहन में नहीं बैठने चाहिए.