साहब, हम जिंदा हैं, इन शब्दों को कहते हुए दफ्तर में चक्कर काट रहे 4 बुजुर्गों के 2 साल बीत चुके हैं लेकिन अभी तक ये खुद को जिंदा साबित नहीं कर सके हैं. यही वजह है कि इन बुजुर्गों को सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा. अधिकारियों के चक्कर काट रहे 4 बुजुर्ग औरैया जिले के ग्राम पंचायत कोठीपुर के रहने वाले हैं. यहां साल 2020 में वृद्धा पेंशन के लिए सत्यापन कराया गया था लेकिन राजस्व के कर्मचारियों की लापरवाही से इन चारों को मृत घोषित दिखा दिया गया. राजस्व कर्मचारियों की एक गलती से चारों बुजुर्गों की वृद्धा पेंशन बंद कर दी गई.

भाग्यनगर ब्लाक के गांव कोठीपुर के रहने वाले 4 बुजुर्ग वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ पाने के लिए खुद को जिंदा साबित करने में लगे हैं. इसके जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि राजस्व कर्मी है जिनके द्वारा सत्यापन करने के बाद उन चारों को कागजों पर मृत घोषित कर दिया गया. इस कारण से साल 2020 से इनको वृद्धा पेंशन का सरकारी लाभ नहीं मिल रहा हैं. वह चारों प्रशासन से न्याय की गुहार लगाते हुए पेंशन शुरू करने की मांग कर रहे है.

शासन के इतने सख्त होने के बावजूद भी सरकारी तंत्र अपने काम में ईमानदारी नहीं दिख रहा है. इसकी एक तस्वीर वृद्धावस्था पेंशन योजना में देखने को मिली. ग्राम पंचायत कोठीपुर में 4 वृद्ध ऐसे मिले हैं, जिन्हें राजस्व ने मरा हुआ घोषित कर दिया और उनकी पेंशन को साल 2020 में ही रोक दिया गया. सुविधा न मिलने पर पीड़िताें ने प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार शिकायत की, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी.

दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन अधिकारी जांच का हवाला देकर जिले में अपने कार्यभार पूरा होने का इंतजार करते रहे. न जाने ऐसे कितने बुजुर्ग हैं जो इन लापरवाह कर्मचारियों की वजह से परेशानी का सामना करते हैं.

दरअसल, कोठीपुर गांव के चारों बुजुर्गों से जब बात हुई तो उन्होंने अपना दर्द साझा किया. 85 वर्षीय विधवा सावित्री देवी का कहना है कि दो साल पहले तक वृद्धावस्था पेंशन मिल रही थी, जो 2020 में अचानक मिलना बंद हो गई. जानकारी करने पर पता चला कि उन्हें मृत घोषित कर दिया. जब इसकी शिकायत अधिकारियों से की गई तो हमेशा जांच का हवाला देकर वापस कर दिया जाता रहा. चारों दफ्तरों के इधर से उधर चक्कर काटते रहे. वहीं, 84 वर्षीय राम सेवक की बात में भी यही दर्द झलका. वह भी पिछले 2 साल से पेंशन न आने का कारण जानने के लिए मुख्यालय के चक्कर काटकर थक गए हैं.

80 वर्षीय राम देवी व 81 वर्षीय सुखराम भी खुद को जिंदा साबित करने के लिए इसी परेशानी का सामना करते दिख रहे हैं. दोनों के जिंदा होने के बावजूद उन्हें मृत बताते हुए पेंशन रोक दी गई. कई बार शिकायत की लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी. इस मामले को लेकर ग्राम प्रधान का कहना है कि मेरे गांव में कुछ लोगों की पेंशन रोक दी गई जिसको लेकर मैंने 1076 पर भी शिकायत की है. वहां से आश्वासन मिला है कि समाज कल्याण में फिर से फार्म भरवाकर भेज दो जिसे हमने भरवाकर भेज दिया है.

मामले को लेकर खंड विकास अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच कराई जाएगी. अगर जीवित को मृत घोषित किया गया. उसे लेकर कार्रवाई की जाएगी. 2 साल बीत जाने के बाद लगातार शिकायत के बाद भी अभी तक अधिकारियों की जांच पूरी नहीं हुई. मामला गंभीर है.जिसे लेकर अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है. इस मामले में कोई भी उच्चधिकारी बोलने को तैयार नहीं है.

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