सरकार भले ही पर्यावरण को सुरक्षित रखने के उपाय कर रही हो लेकिन कासगंज में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए दर्जनों ईंट भट्ठे बिना एनओसी के बेख़ौफ़ होकर चल रहे हैं. प्रशासन सब जानते हुए भी अंजान है. पराली जलाने से प्रदूषण होने के कारण प्रशासन ने किसानों पर तो दर्जनों मुकदमें दर्ज कर दिए लेकिन बिना एनओसी के चल रहे ईंट भट्ठों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

इन भट्ठों में लगातार सरसों की तुर्री से ईंटें पकाई जा रहीं है. सरसों की तूर्री से भीषण प्रदूषण फैलता है. कोयले की तुलना में सरसों की तुर्री से ईंटें पकाने में लागत कम आती है. सरसों की तुर्री काफी सस्ती पड़ती है. इसलिए ईंट भट्ठे वाले कोयले की जगह सरसों की तूर्री का प्रयोग करते हैं.

सरसों की तुर्री से फैलता है प्रदूषण : तुर्री सप्लाई करने वाले भी मानते हैं कि ईंट भट्ठों में इसका प्रयोग करना अवैध है क्योंकि इससे भारी प्रदूषण फैलता है. तुर्री सप्लायर राजीव ने बताया कि हम रात में ट्रैक्टरों पर या बड़े वाहनों पर तुर्री लादकर ईंट भट्ठों को सप्लाई करते हैं. प्रशासनिक अधिकारियों से बेख़ौफ़ राजीव ने बताया कि रास्ते में पुलिस मिलती है तो ओवरलोडिंग के चलते सौ दो सौ रुपये लेकर छोड़ देती है. राजीव ने कहा कि तुर्री से भारी प्रदूषण होता है लेकिन इस पर तो सरकार को ध्यान देना चाहिए. हम तो सप्लायर हैं. हमसे ईंट भट्ठे वाले खरीदते हैं, हम सप्लाई करते हैं. वहीं भट्ठे वालों का कहना है कि कोयले से ईंट पकाने में ज़्यादा लागत आती है. हमें जो सस्ता पड़ेगा हम उसी का उपयोग करेंगे.

जिलाधिकारी ने कहा हम जानते हैं : कासगंज की जिलाधिकारी हर्षिता माथुर भी मानती है कि कई ईंट भट्ठे ऐसे हैं जो बिना एनओसी के चल रहे हैं. हम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से बात कर रहे हैं,जल्द ही इनके खिलाफ कार्रवाई करवाने की कोशिश करेंगे. इनके खिलाफ कार्रवाई तो प्रदूषण विभाग को ही करना है. उन्होंने बताया कि जनपद में कुल 195 ईंट भट्ठे हैं, जिनमें 111 ईंट भट्ठे ऐसे हैं जो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के विपरीत चल रहे है. इन 111 ईंट भट्ठों के पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी नहीं है. जिलाधिकारी ने कहा कि जल्द ही ऐसे ईंट भट्ठों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के माध्यम से ठोस कार्रवाई कराई जाएगी.

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