अखिलेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट योजना सियासत की भेंट चढ़ गई है. इस योजना में करीब 11 सौ करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन ये पूरा नहीं हो सकी. भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही इस योजना पर सीबीआई जांच बिठा दी गई. जिसमें कृषि विभाग के अफसर जेल पहुंच गए. इसके बाद इस रिवर फ्रंट के संरक्षण की जिम्मेदारी लखनऊ विकास प्राधिकरण (Lucknow Development Authority) को मिली. मगर एक छोटे से स्ट्रेच को छोड़कर पूरे रिवरफ्रंट का बहुत बुरा हाल है.

रिवर फ्रंट डेवलमेंट योजना हनुमान सेतु से ला मार्टिनियर कॉलेज ग्राउंड तक नदी के दोनों ओर विकसित की गई. जिस पर काम साल 2013 में शुरू हुआ था. सिचाई विभाग ने अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाना शुरू किया था. 2017 आते-आते 1100 सौ करोड़ रुपये खर्च हो गये, लेकिन यह काम पूरा नहीं हो सका. इसके बाद समाजवादी पार्टी की सरकार चली गई. भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई, तो सबसे पहले इस मामले में विभागीय जांच शुरू हुई. बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के कहने पर सीबीआई ने प्रकरण की जांच शुरू की और अनेक अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करके कुछ को जेल भी भेज दिया गया.

इसी बीच सरकार ने इस प्रोजेक्ट के रख-रखाव की जिम्मेदारी लखनऊ विकास प्राधिकरण को दे दी. जिसके लिए शुरुआती साल में ₹39 करोड़ भी दिए गए. शुरुआत में यहां पर पेड़ पौधे जमकर लगाए गए और अच्छा काम हुआ मगर 8 किलोमीटर के इस प्रोजेक्ट में 6 किलोमीटर काम कहीं नजर नहीं आ रहा हर और गंदगी है. गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में कोई भी आ जा सकता है. नदी किनारे लगाई गई रेलिंग गायब है. दुर्घटनाओं को खुला दरबार इस प्रोजेक्ट में मिल रहा है. मगर एलडीए का एक कर्मचारी यहां रख-रखाव के लिए नजर नहीं आता है.

इस बारे में लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिशासी अभियंता कमलजीत सिंह ने ईटीवी से बातचीत के बाद संबंधित अधिकारियों को जरूरी निर्देश जारी किये हैं. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे का कहना है कि निश्चित तौर पर सीबीआई जांच एक अलग विषय है, मगर लखनऊ विकास प्राधिकरण को गोमती रिवर फ्रंट विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई है. उनको अब हर हाल में बेहतर रख-रखाव करना होगा.

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