बागपत/देहरादून: जनपद में भू-माफिया यशपाल तोमर की 98 लाख रुपये की संपत्ति को प्रशासन ने कुर्क किया. हरिद्वार डीएम ने बागपत जिला प्रशासन को पत्र भेजा था. इसके बाद कुर्की की कार्रवाई बागपत प्रशासन ने की. पुलिस के मुताबिक बरवाला गांव निवासी यशपाल तोमर भू-माफिया है. उसके खिलाफ जानलेवा हमला, धमकी और गैंगस्टर एक्ट समेत विभिन्न धाराओं में हरिद्वार, नैनीताल, सहारनपुर, गाजियाबाद, मेरठ में कई मुकदमे दर्ज हैं. अफसरों के मुताबिक यशपाल तोमर गिरोह का सरगना है. यशपाल ने फर्जी मुकदमे दर्ज कराकर को लोगों की जमीन हड़प ली थी.

यशपाल तोमर के खिलाफ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप अधिनियम की धारा 14(1) के तहत कार्रवाई की गई. यशपाल के भाई नरेश तोमर की कस्बा बड़ौत में आठ लाख रुपये की 148 वर्ग गज आवासीय भूमि और बरवाला गांव में 90 लाख रुपये की 12.447 हेक्टेयर भूमि को कुर्क किया गया.

बागपत में यशपाल तोमर की 98 लाख रुपये की संपत्ति कुर्क

इसके पहले भू-माफिया यशपाल तोमर की बागपत में स्थित संपत्ति को कुर्क करने के संबंध में उत्तराखंड प्रशासन ने जिला प्रशासन को पत्र लिखा था. इसके बाद कुर्की की कार्रवाई की गयी. यशपाल तोमर गांव बरवाला का रहने वाला है. उसके ऊपर उत्तराखंड, हरिद्वार में भी जिलाधिकारी ने कार्रवाई की है.

ऐसे कसा शिकंजा: एसटीएफ के मुताबिक कुछ समय पहले हरिद्वार के एक व्यापारी की प्रॉपर्टी कब्जाने की शिकायत पुलिस के पास आई. शिकायत पहले स्थानीय थाने और फिर STF को ट्रांसफर हुई. प्रारंभिक जांच पड़ताल में यशपाल तोमर पर लगाए गए आरोप सही पाए गए. जिसके बाद कड़ी दर कड़ी उसके द्वारा प्रॉपर्टी हड़पने के फर्जी मुकदमों की लंबी कुंडली सामने आने लगी. जांच में पता चला कि 28 फर्जी मुकदमे हरिद्वार से लेकर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान पंजाब तक संपत्ति को कब्जा करने के लिए गैंगस्टर यशपाल तोमर द्वारा विभिन्न पुलिस स्टेशनों में दर्ज कराए गए हैं.

इस इस गोरखधंधे में सबसे रोचक तथ्य यह सामने आ रहा था कि अधिकांश मामलों में गैंगस्टर यशपाल तोमर का सीधा नाम नहीं आ रहा था. लेकिन, इन सबके पीछे यशपाल तोमर का ही दिमाग चल रहा था. बस इन्हीं कुंडलियों को खंगालते हुए एसटीएफ ने पिछले लगभग 5 महीनों से गैंगस्टर तोमर के खिलाफ हर एंगल से जांच-पड़ताल की तो सच्चाई चौकाने वाले सामने आए.

हरिद्वार व्यापारी ब्लैकमेलिंग केस में पीड़िच के ऊपर इतना दबाव था कि वो एसटीएफ के सामने यशपाल तोमर का नाम लेने से कतरा रहे थे. लेकिन, एसटीएफ ने उनकी सुरक्षा का भरोसा देते हुए पीड़ितों को इस मामले में गवाह बनाया और आगे की कार्रवाई की. पीड़ितों से मिले इनपुट को एसटीएफ ने कोर्ट ने पेश किया, जहां से 153 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया गया.